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    जूतों में कूड़ेदान में नोटों की गड्डियां भर तीन महीने में घर लाए 64 लाख बैंक नोट प्रेस में दो जवानों ने कैसे पकड़ी अफसर की चोरी

     


    जूतों में कूड़ेदान में नोटों की गड्डियां भर तीन महीने में घर लाए 64 लाख  बैंक नोट प्रेस में दो जवानों ने कैसे पकड़ी अफसर की चोरी

    मनोहर वर्मा ने बैंक नोट प्रेस से 90 लाख 59 हजार 300 रुपये की चोरी की

     थी। लगातार तीन महीने तक वह प्रेस से जूतों में नोटों के बंडल घर ले जाता

     था। वह इस काम को इतनी चतुराई से करता था कि पकड़ा नहीं जा सकता

     था। ड्यूटी पर तैनात सीआईएसएफ के दो जवानों की सतर्कता से एक दिन

     उसकी चालाकी पकड़ी गई और सारे राज खुल गए।






    देवास बैंक नोट प्रेस से 90 लाख से ज्यादा की चोरी करने वाले डिप्टी

     कंट्रोलर मनोहर वर्मा को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है मनोहर वर्मा

     कटे-फटे नोटों को जूतों में भरकर घर ले जाते थे। उसकी गिरफ्तारी के

     बाद दिल्ली तक हड़कंप मच गया। अब वह जीवन भर जेल में रहेगा।


    देवास : बैंक नोट प्रेस देवास से पैसे चुराने वाले अधिकारी मनोहर वर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. मनोहर वर्मा ने बैंक नोट प्रेस से 90 लाख 59 हजार 300 रुपये की चोरी की थी। लगातार तीन महीने तक वह प्रेस से जूतों में नोटों के बंडल घर ले जाता था। वह इस काम को इतनी चतुराई से करता था कि पकड़ में नहीं आता था। ड्यूटी पर तैनात सीआईएसएफ के दो जवानों की सजगता के कारण उसकी चालाकी एक दिन पकड़ी गई और सब राज खुल गया। इस खुलासे के बाद बैंक नोट प्रेस में खलबली मच गई थी। इसके बाद मनोहर वर्मा के घर से 64 लाख रुपये के करीब की राशि बरामद हुई थी। आइए चाक चौंबद सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देकर कैसे बैंक नोट प्रेस रुपये लेकर मनोहर वर्मा घर पहुंच जाता था।

     

    आरोपी मनोहर वर्मा बीएनपी सेक्शन में डिप्टी कंट्रोलर थे। अस्वीकृत नोटों की कटिंग बीएनपी सेक्शन में की जाती है। वर्मा की कर्मचारी आईडी 4106 थी। वर्मा 1984 में बैंक नोट प्रेस देवास में क्लर्क के पद पर भर्ती हुए थे। पदोन्नति मिलने के बाद वे डिप्टी कंट्रोलर के पद पर पहुंचे थे। बैंक नोट प्रेस में प्रवेश करने वाले प्रत्येक कर्मियों की गहन तलाशी ली जाती है। सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ के पास है। चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं। वहीं, अधिकारियों की श्रेणी में आने वाले लोगों की उतनी तलाशी नहीं होती है। इसी का फायदा मनोहर वर्मा ने उठाया था।

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    ऐसी की चोरी शुरुआत

    दरअसल, देवास बैंक नोट प्रेस में नोट छह भागों में छपते हैं। चौथे और पांचवें चरण में गड़बड़ी वाले नोटों की छँटाई होती है। आरोपी मनोहर वर्मा इसी हिस्से में तैनात थे। इस सेक्शन से वह मौका मिलते ही नोटों के बंडल कूड़ेदान में फेंक देते थे। इसके बाद वह उन नोटों को अपने लॉकर में लेकर रख लेता था। महीनों तक वर्मा ऐसे ही नोटों के बंडल निकालते रहे। अधिकारी होने के कारण उनके लॉकर की जांच नहीं की गई।

     

    500 और 200 के नोटों की चोरी

    मनोहर वर्मा पांच और दो सौ के नोटों के बंडल चोरी करता था। जहां कहीं भी गंदे नोटों की चेकिंग होती थी, वह मौका मिलते ही बंडलों को कूड़ेदान में डाल देता था। इसके बाद कूड़ेदान को लॉकर में ले जाया गया। वह लॉकर में ही गुप्त रूप से नोटों के बंडल रखता था। यह सब कई महीनों तक चलता रहा। लेकिन किसी ने गौर नहीं किया। ये 500 और 200 के नोट नए थे।

     


    जूतों में बंडल ले जाते थे

    बैंकनोट प्रेस से बाहर आने वाले सभी लोगों की तलाशी ली जा रही है। उप नियंत्रक होने के नाते मनोहर वर्मा की जांच नहीं की गई। मनोहर वर्मा अपने कार्यालय में बड़ी सावधानी से बैठते थे और प्रतिदिन दो-तीन जूतों की गट्ठर अपने जूतों में डालते थे। जूतों में नोटों के बंडल होने के कारण कोई देख नहीं पाया। इस तरह वह बैंक नोट प्रेस से पैसे लेकर घर पहुंच जाता था।

     

    सीआईएसएफ के जवानों ने पकड़ी चोरी

    वर्मा सैनिकों पर नजर रखते थे। क्रासिंग के दौरान वह नोटों के बंडल कूड़ेदान में फेंक देते थे। 18 जनवरी 2018 को ड्यूटी पर तैनात सीआईएसएफ के जवान मनेंद्र सिंह और लिलेश्वर प्रसाद ने बार-बार बक्सा देखकर मनोहर पर शक किया था. इसकी जानकारी उन्होंने अपने अधिकारियों को दी। अधिकारियों ने सीसीटीवी वीडियो को गहराई से देखा तो मनोहर वर्मा की करतूत सामने आ गई।

     

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    19 जनवरी 2018 को रंगेहाथों पकड़ा

    सीआईएसएफ ने अपने स्तर पर जांच पूरी कर ली है। 19 जनवरी 2018 को बैंकनोट प्रेस से बाहर निकलते समय डिप्टी कंट्रोलर मनोहर वर्मा को रंगेहाथ पकड़ा गया। उस वक्त मनोहर वर्मा के जूतों के अंदर 200-200 रुपये के नोट के दो बंडल मिले थे. मनोहर की गिरफ्तारी से एमपी से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया।



    90 लाख रुपये से अधिक की चोरी

    आरोपी मनोहर वर्मा ने इस दौरान 90 लाख 59 हजार 500 रुपये की चोरी की थी। गिरफ्तारी के बाद उसके घर की तलाशी ली गई तो वहां से 64.5 लाख रुपये बरामद हुए। साथ ही उसके लॉकर से 26 लाख नौ हजार 300 रुपये बरामद किए गए। वह भी इस पैसे को जूतों में लेकर अपने घर ले जाने वाला था। इससे पहले पकड़ा गया। सभी 500 और 200 रुपये के नोट थे। जांच के दौरान यह भी पता चला कि वर्मा ने ये नोट भी खर्च किए हैं।


    ऐसे की प्लानिंग

    नियम के अनुसार विकृत नोटों को पूरी तरह से छतिग्रस्त कर देना होता है। छपाई में मिस प्रिंट हुए नोटों को सबसे पहले पंच कर पूरी तरह यूज नहीं करने लायक बनाया जाता है। इसके बाद मशीन से कटिंग कर इसका बुरादा बनाया जाता है। डेप्युटी कंट्रोलर मनोहर वर्मा इसी का हेड था। पंचिंग मशीन को खराब बताकर सबसे पहले उसे साइड करवा दी। नोटों की कटिंग करवाने की जगह वह डस्टबिन में फिंकवाने लगा। बुरादा बनने से पहले वह नोटों को छांट कर लॉकर में रख देता था। रेकॉर्ड में वह नोटों के नंबर को डिस्ट्रॉय में डाल देता था।



    सबके सामने कपड़े उतारे गए

    वहीं बीएनपी के तमाम अधिकारियों व कर्मियों के सामने मनोहर वर्मा की जांच की गयी. उसके कपड़े और जूते उतार दिए गए। इस दौरान जूतों से नोटों के बंडल मिले। इस कार्रवाई से पूरी बीएनपी हिल गई थी। नोटबंदी के दौरान मनोहर की गिरफ्तारी को लेकर काफी चर्चा हुई थी।



    कभी जमानत नहीं मिली

    नोट चोरी करते पकड़े गए डिप्टी कंट्रोलर वर्मा को गिरफ्तारी के बाद कोर्ट से कभी जमानत नहीं मिली. आरोपी ने कई बार कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी, लेकिन हर बार उसे खारिज कर दिया गया। इस मामले की जांच के लिए तत्कालीन एसपी ने एसआईटी का गठन किया था, जिसने कोर्ट में सात हजार पेज का चार्जशीट दाखिल किया था.


    चार साल बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई है

    अदालत ने आरोपी मनोहर वर्मा को चार साल बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 75 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. मामले के जांच अधिकारी और वर्तमान शहर कोतवाली टीआई उमराव सिंह ने कहा कि आरोपी मनोहर वर्मा को धारा 489 बी, 489 सी, 409 के तहत दोषी ठहराया गया है। दो धाराओं में आजीवन कारावास और एक में सात साल की कैद है। इसके अलावा तीनों धाराओं में 75,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.




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