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    उत्तराखंड चुनाव हरीश रावत एक बार फिर नहीं बचा सके अपनी सीट हरीश रावत की हार के पांच मुख्य वजह /पढ़ें हार के पांच प्रमुख कारण

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    उत्तराखंड चुनाव परिणाम : उत्तराखंड चुनाव परिणाम: हरीश रावत एक बार फिर नहीं बचा सके अपनी सीट


    हरीश रावत की हार के पांच मुख्य वजह


    1 सीट अंतिम समय में बदलना 

    हरीश रावत की हार के कारणों में एक सीटों को लेकर मचा घमासान भी रहा। पहले रामनगर से चुनाव लड़ने की जिद फिर महिला प्रत्याशी का टिकट काटकर लालकुआं से टिकट दे देना कांग्रेस को भारी पड़ गई। इससे न केवल महिला प्रत्याशी संध्या ने कांग्रेस से बगावत की बल्कि निर्दलीय प्रत्याशी बतौर करीब 4 हजार वोट भी पाए।



    2 नाराजगी रणजीत रावत खेमे की

    करीब पांच साल से रामनगर सीट पर अपनी सियासी जमीन मजबूत कर रहे वरिष्ठ कांग्रेसी रणजीत रावत और उनके समर्थकों की नाराजगी भी हरीश रावत को भारी पड़ गई। रामनगर से हरीश रावत के चुनाव लड़ने का रणजीत रावत ने विरोध किया। लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने न तो रणजीत रावत न ही हरीश रावत को रामनगर से प्रत्याशी बनाया।  




    3 दावे और कमजोर जमीनी पकड़

    भले ही हरीश रावत उत्तराखंड की राजनीति का बड़ा चेहरा माने जाते हैं मगर, चुनावों में उनका मैनेजमेंट अक्सर धराशायी हो जाता है। रावत ने बयान जारी कर कहा था कि वे लालकुआं सीट पर पहले ही दिन से अपनी जीत निश्चित मानकर चल रहे हैं। इसी अतिविश्वास और जमीनी स्तर पर कमजोर पकड़ ने रावत से जीत छीन ली।

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    4 संध्या को कमतर आंकना पड़ा भारी

    अपनी जिद के आगे हरीश रावत ने कांग्रेस हाईकमान को कई बार झुकाया। पहले चहेतों को टिकट देने को लेकर रावत अड़े रहे, फिर खुद के टिकट को लेकर वे दिल्ली से दून तक चक्कर लगाते रहे। लालकुआं से रावत को टिकट देने के चक्कर में कांग्रेस ने संध्या डालाकोटी का घोषित टिकट काट दिया। जिसके बाद से लालकुआं विस क्षेत्र में कांग्रेस के दो धड़े बन गए थे। संध्या के निर्दलीय चुनाव लड़ने के ऐलान को भी रावत जैसे अनुभवी नेता ने हल्के में ले लिया। 


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    5 पैराशूट प्रत्याशी का तमगा लगा

    हरीश रावत का राजनीति में कद देखते हुए कांग्रेस हाईकमान चुनाव में उन्हें उनकी मनचाही सीट पर टिकट दे देती है। जबकि, इसका फायदा उन्हें शायद ही कभी भरपूर मिला हो। वर्ष 2017 चुनाव में वे हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से चुनाव लड़े थे। जहां अपनी खुद की जमीनी पकड़ न होने के कारण उन्हें करारी हार मिली। यही इस बार फिर दोहराया गया। लालकुआं में भाजपा ने उन्हें पैराशूट प्रत्याशी प्रचारित कर इसका राजनीतिक फायदा उठाया।











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