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    अपने ही बनाये वायरस की चपेट आया चीन हालात बेकाबू हुए/ दो हफ्ते में नहीं रुका ओमाइक्रोन का तूफान बुरी तरह टूटेगा चीन/ चीन को भयंकर त्रासदी का सामना करना पड़ सकता है एक्सपर्ट्स इसकी चेतावनी देने लगे हैं।

    अपने ही बनाये वायरस की चपेट आया चीन हालात बेकाबू हुए दो हफ्ते में नहीं रुका ओमाइक्रोन का तूफान बुरी तरह टूटेगा चीनहर दिन बढ़ रही है चुनौती दो हफ्ते में नहीं रुका ओमाइक्रोन का तूफान बुरी तरह टूटेगा चीनहर दिन बढ़ रही है चुनौती चीन को भयंकर त्रासदी का सामना करना पड़ सकता है। एक्सपर्ट्स इसकी चेतावनी देने लगे हैं।चीन में नई कोरोना लहर: चीन के सामने कोरोना महामारी के प्रकोप को जल्द से जल्द

    बीजिंग: कोरोना महामारी के लिहाज से चीन के लिए अगले दो हफ्ते निर्णायक साबित होने वाले हैं। इस दौरान वहां कोरोना वायरस के वेरियेंट ओमीक्रोन की ताजा लहर पर काबू नहीं पाया जा सका तो चीन को भयंकर त्रासदी का सामना करना पड़ सकता है।

    हमारे पड़ोसी देश के कुछ हिस्से ओमीक्रोन से बेहाल हैं।

     वहां लोगों की जांच करने और कोरोना संक्रमित पाए जाने पर उन्हें क्वारेंटीन में रखने की चुनौती दिन-ब-दिन कठिन होती जा रही है। वैश्विक नजरिए से संक्रमण दर अब भी कम है, लेकिन चीन के कोरोना नियम काफी कठोर हैं जिसके चलते नए सिरे से मुंह बाए खड़ी समस्या से निपटना लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। ऐसे में आशंका है कि आने वाले कुछ हफ्तों में चीन को कोरोना की सबसे बड़ी त्रासदी का सामना करना पड़ सकता है।

    कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही

    चीन में पिछले 10 सप्ताह से लगातार कोरोना महामारी के लक्षणों से पीड़ित लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इस वजह से काफी सख्त लॉकडाउन लगाया जा सकता है और आर्थिक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। चीन का उत्तरी प्रांत जिलिन सबसे नई लहर है ज्यादा असर नजर आ रहा है। वहां के हालात को देखते हुए शहर-दर-शहर अस्थायी अस्पताल तैयार करने की होड़ मच गई है। जिलिन प्रांत के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि दो-तीन दिनों में महामारी को नियंत्रित करने के लिए उपकरणों और दवाओं की कमी हो जाएगी

    राष्ट्रपति जिनपिंग की विशेष समस्या

    चीन अपनी जीरो कोरोना नीति का बहुत सख्ती से पालन करता है, जिसमें संक्रमितों की पहचान से लेकर संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए काफी सावधानी बरती जाती है। इसका कारण न केवल संभावित स्वास्थ्य समस्या को संकट में बदलने से रोकना है, बल्कि कुछ को रोकना भी है राजनीतिक कारण भी हैं। दरअसल, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में चीन सरकार के लिए बहुत कुछ दांव पर लगा है. राष्ट्रपति जिनपिंग ने अपनी सांस रोक रखी होगी कि उनका दूसरा कार्यकाल इस साल समाप्त होने वाला है और वह तीसरा कार्यकाल हासिल करने की ओर बढ़ गए हैं। 

    कोरोना वैक्सीन कितनी कारगर है, स्थिति इस पर भी साफ नहीं चीन में भले ही लगभग 90% टीकाकरण पूरा हो चुका हो, लेकिन वहां के विशेषज्ञों का कहना है कि पर्याप्त संख्या में बुजुर्गों को बूस्टर खुराक नहीं मिल पाई है। इससे महामारी के गंभीर रूप लेने और मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ने का खतरा बना हुआ है असल बात तो यह है कि चीनी वैक्सीन बीमारी को रोकने में कितनी कारगर है, इसका भी पक्का अंदाजा किसी को नहीं है। (चीन )राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अध्यक्ष एमआई फेंग (FI FANG) के लिए महामारी को नियंत्रित और नियंत्रित किया गया है हालाँकि यह बिल्कुल ठीक है कि वायरस को रोकने की चीन की रणनीति ओमीक्रोन पर अब तक कारगर साबित हो रही है।







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