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    रूस यूक्रेन युद्ध : यूक्रेन पुलिस की भारतीयों के साथ बदसलूकी, मेट्रो स्टेशन से खदेड़ा, पैदल बार्डर तक पहुंचे

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    रूस यूक्रेन युद्ध : यूक्रेन पुलिस की भारतीयों के साथ बदसलूकी, मेट्रो स्टेशन से खदेड़ा, पैदल बार्डर तक पहुंचे


     

    रूस यूक्रेन युद्ध: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। भारतीय छात्र यूक्रेन से भारत वापस लौट रहे हैं। यूक्रेन में भारतीय छात्रों के साथ यूक्रेन पुलिस ने अभद्रता की। उन्हें मेट्रो स्टेशन में घूसने नहीं दिया गया। छात्र पैदल ही बार्डर तक पहुंचे




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    रोहतक  एक मार्च को भारतीय दूतावास ने खारकीव छोड़ने की एडवाइजरी जारी की थी। भारतीय छात्र-छात्राएं बंकर से बाहर निकले और मेट्रो स्टेशन पहुंचे ताकि किसी तरह खारकीव को छोड़ सके। लेकिन यूक्रेन पुलिस ने मेट्रो स्टेशन में नहीं घुसने दिया। छात्रों के साथ मारपीट व फायरिंग कर वहां से खदेड़ दिया। इसके बाद वह पैदल ही रूस बार्डर की तरफ निकले और 21 किलोमीटर चलकर पिसोचिन पहुंचे। यहां दो दिन से वतन लौटने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन भारतीय दूतावास के अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पा रहा। भूख-प्यास और बमबारी के बीच डरे-सहमे है। यह आपबीती जिले के गांव लाढौत की 19 वर्षीय शिवानी रूहिल की है, जो करीब 800-900 भारतीय छात्र-छात्राओं के साथ यूक्रेन में ही फंसी हुई है।



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    शिवानी रूहिल ने दैनिक जागरण प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए बताया कि हास्टल से निकलकर जोखिम उठाते हुए मेट्रो स्टेशन पहुंचे। लेकिन वहां पुलिस और सेना ने छात्रों के साथ हाथापाई की और फायरिंग करते हुए वापस भगा दिया। इस दौरान उसकी दोस्त के पैर में चोट भी लगी है। इसके बाद छात्रों के दल ने पैदल ही रूस के बार्डर की तरफ चलना शुरू किया। करीब 21 किलोमीटर पैदल चलकर पिसोचिन पहुंचे। यहां कमरों में रोका गया है। खाने-पीने का जो भी सामान था, वो खत्म हो चुका है। यहां कुछ मिल नहीं पा रहा।




     

    10 से 15 बम धमाके

     

    भारतीय दूतावास के अधिकारी फोन नहीं उठा रहे। अगर उठा लेते हैं तो कहते हैं, प्रयास करेंगे। बीच रास्ते में करीब 10 से 15 बम धमाके भी हुए। वो अपनी जान बचाने के लिए छिपते-छिपाते यहां तक पहुंचे हैं। दो दिन से ज्यादा का समय हो गया, यहां पर मदद का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही है। अब तो उसे यह भी समझ नहीं आ रहा है कि जाएं तो कहां जाएं। उधर, स्वजनों भी काफी परेशान है। भारतीय सरकार से मांग है कि जल्दी उनको यहां से किसी तरह निकाला जाए। भूख-प्यास और ठंड से स्वास्थ्य भी बिगड़ना शुरू हो चुका है।

     

    500 अमेरिकी डालर मांग रहे प्राइवेट बस वाले

     

    शिवानी रूहिल ने बताया कि पिसोचिन से रूस बार्डर तक जाने के लिए प्राइवेट बस संचालक प्रति छात्र 500 या इससे अधिक अमेरिकी डालर किराया मांग रहे हैं। कुछ सीनियर छात्रों ने किसी तरह किराए का इंतजाम करके वहां से निकलना भी शुरू कर दिया। लेकिन उसके पास तो किराया भी नहीं है। यहां पर अभी भी सैकड़ों की संख्या में भारतीय छात्र फंसे हैं, जिनमें हरियाणा के भी शामिल है।


    सरकार ने लगाई अधिकारियों की ड्यूटी

     

    रोहतक एसडीएम राकेश सैनी ने बताया कि यूक्रेन में फंसे हरियाणा के विद्यार्थियों को निकालने के लिए राज्य सरकार द्वारा अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। रोहतक की शिवानी रूहिल से संपर्क करने के लिए मोबाइल नंबर भेज दिया गया है ताकि जल्द मदद पहुंच सके।



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