सर्वे के लिए सबसे सटीक आंकड़े तेजी से देंगे कोर स्टेशन फायदा
सर्वे के लिए सबसे सटीक आंकड़े
तेजी से देंगे कोर स्टेशन फायदा
जीपीएस की एक्यूरेसी बढ़ाने या किसी परियोजना के निर्माण से पहले सर्वे के लिए जरूरी सटीक आंकड़े उपलब्ध कराने में सर्वे ऑफ इंडिया के कोर स्टेशन (कंटीन्यूसनली ऑपरेटिंग रेफरेंस सिस्टम) महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। सर्वे कार्य के लिए सटीक सांख्यकीय डेटा उपलब्ध कराने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया का कोर नेटवर्क स्थापित करने का काम इस वर्ष के अंत तक पूरा हो जाएगा।
देशभर में करीब एक हजार कोर स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं।
पृथ्वी पर किसी भी जगह की भौगोलिक स्थिति का निर्धारण अक्षांश (लैटीट्यूड) और
देशांतर(लॉगींट्यूड)रेखाओं से होता है। इससे दुनिया के किसी भी स्थान का पता आसानी
से लगाया जा सकता है। कोर स्टेशन देश में बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के
निर्माण और राजस्व मानचित्रों के निर्माण में मदद करेगा, जो देश की प्रमुख
समस्याओं में से एक है।
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यूपी, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल, महाराष्ट्र व कर्नाटक में
साढ़े चार सौ कोर स्टेशन लगाए जा चुके हैं। पूर्वी राज्यों में टेंडरिंग का काम
पूरा हो चुका है। सिर्फ सात राज्यों में काम बाकी है। सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से
स्थापित कोर नेटवर्क से न सिर्फ डेटा प्रोसेस में मदद मिलेगी, बल्कि भू-सर्वेक्षण, भवनों के सर्वे कार्य में
लगने वाला समय भी बचेगा। भारत सरकार की स्वामित्व जैसी महत्वपूर्ण परियोजना के
क्रियान्वयन में कोर नेटवर्क से मिले सटीक डेटा का उपयोग किया जा रहा है।
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25 लाख का खर्च एक स्टेशन पर
एक कोर स्टेशन पर करीब 25 लाख रुपये का खर्च आया
है। स्टेशन में जीपीएस रिसीवर, जीएनएएसएस(ग्लोब नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम), आईआरएनएस सेटेलाइट सिस्टम
लगाए गए हैं। ये सोलर पावर व बेटरी पर चलता है। निरंतर इंटरनेट से जुड़े रहने के
लिए कई तरह की संचार प्रणाली का प्रयाग किया गया है।
जीएनएसएस तकनीक ने
सर्वेक्षण करने के तरीके को बदल दिया है। निरंतर संचालन संदर्भ प्रणाली (कोर्स) एक
बुनियादी ढांचा है जो सटीकता और वास्तविक समय डेटा अधिग्रहण की समस्या को हल करता
है।
डेटा कैसे मिलेगा
कोर नेटवर्क से डेटा पाने के लिए यूजर
को सर्वे ऑफ इंडिया लॉगिन आईडी व पासवर्ड देगा। आईपी एड्रेस से साइट खुलने पर
मिनटों में सम्बंधित इलाके के सर्वे से जुड़े महत्वपूर्ण आंकड़े यूजर को उपलब्ध हो
जाएंगे। गैर सरकारी संस्थाओं के लिए आंकड़े निशुल्क हैं, जबकि गैर सरकारी संस्थाओं के लिए इसकी
दरें जल्द तय होंगी।
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कोर्स नेटवर्क क्या है
कोर्स एक जियोपोजिशनिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर है जो अत्यधिक सटीक डीजीपीएस सेवा
प्रदान करता है। मोबाइल से गूगल मैप से भी इस तरह की सुविधा मिलती है, लेकिन इससे धरातल पर 15 से 20 मीटर का अंतर आ जाता है।
जीपीएस से काम करने पर घंटों लग जाते हैं। कोर्स नेटवर्क से सटीक डेटा मिनटों में
मिलेंगे। कोर्स स्टेशन की एक दूसरे से दूरी 60 से 70 किलोमीटर रखी जाती है।
विदेशी उपग्रह सिस्टम पर खत्म होगी निर्भरता
कोर्स सिस्टम भविष्य में अन्य जीएनएसएस नेटवर्क जैसे जीपीएस, गैलीलियो और ग्लोनास के
साथ नाविक नेटवर्क से भी जुड़ेगा। इससे भारत की विदेशी उपग्रह प्रणालियों पर
निर्भरता कम होगी।
यहां लगे कोर नेटवर्क
यूपी, हरियाणा, एमपी, राजस्थान, पंजाब : 298
हिमाचल-उत्तराखंड : 20-(हिमाचल में छह कोर स्टेशन का काम जारी)
गुजरात, तेलंगाना, झारखंड,
आंध्रा : 70
महाराष्ट्र, कनार्टक : 126
उत्तराखंड में इन स्थानों पर लगे
हे स्टेशन
देहरादून, मोरी, रामनगर, पिथौरागढ़, बैजनाथ, रुद्रप्रयाग, रुड़की, टिहरी, सतपुली, भटवाड़ी, मुनस्यारी, हल्द्वानी, खटीमा।
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