महान समाज सुधारक, आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की 200वीं जयंती के अवसर पर विश्वभर में 2 वर्ष तक होंगे अनेक आयोजन - भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी दिल्ली में 12 फरवरी को करेंगे विश्वव्यापी कार्यक्रमों का शुभारम्भ
श्रीगंगानगर : आधुनिक भारत के निर्माता, आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जन्म जयन्ती फरवरी-2024 में आ रही है। इस ऐतिहासिक अवसर को आयोजित करने के लिए दो वर्षीय योजना तैयार की गई है। इन दो वर्षों में विश्व के अनेक देशों और भारत के प्रत्येक राज्य में अनेक आयोजन होंगे। आर्य समाज श्रीगंगानगर जिलाध्यक्ष रवि चड्ढा ने बताया कि आयोजनों का शुभारम्भ भारत की राजधानी नई दिल्ली से 12 फरवरी, 2023 को होगा।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन आयोजनों का शुभारम्भ अपने कर-कमलों से करेंगे। समारोह नई दिल्ली स्थित इन्दिरा गांधी इण्डोर स्टेडियम में होगा।
उल्लेखनीय है कि महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात प्रान्त के टंकारा ग्राम में हुआ था। 19वीं सदी का सामाजिक, आध्यात्मिक, सर्वप्रभावशाली, क्रान्तिकारी, परिवर्तनकारी आंदोलन, आर्य समाज की स्थापना महर्षि दयानंद सरस्वती ने की थी। स्वराज्य शब्द के जन्मदाता महर्षि दयानंद सरस्वती ने समाज को अंधविश्वास और कुरीतियों से दूर रहने के क्रांतिकारी संदेश के साथ ईश्वरीय ज्ञान वेद को समस्त मानव जाति और प्रत्येक वर्ग के लिए आवश्यक बताते हुए ऊंच-नीच भेदभाव की खाई को समाप्त करने का आह्वान किया।
उनके द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश जैसे कालजयी ग्रन्थ की रचना ने तत्कालीन समाज को जगाने तथा झकझोरने का कार्य किया। महर्षि दयानंद सरस्वती जी से प्रेरणा लेकर उनके हजारों शिष्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे। महर्षि जी के विचारों का प्रभाव भारत के प्रत्येक हिस्से और विश्व के अनेक देशों पर व्यापक रूप से हुआ। स्त्री शिक्षा, सबके लिए वेद, समान शिक्षा के अधिकार के साथ अनाथों के कल्याण, जाति निर्मूलन, हिन्दी भाषा, गौरक्षा, उन्नत कृषि, विधवा पुनर्विवाह, गुरुकुल प्रणाली आदि महान कार्यों के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती के योगदान को सदैव स्मरण किया जाता रहेगा।
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