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    गंगानगर कला मंच की काव्य गोष्ठी में कवियों ने कविता पाठ द्वारा किया मंत्रमुग्ध

         गंगानगर कला मंच की काव्य गोष्ठी में कवियों ने कविता पाठ द्वारा किया मंत्रमुग्ध



    श्रीगंगानगर : गंगानगर कला मंच की मासिक काव्य गगन पथ स्थित श्री अरोड़वंश पब्ल्कि स्कूल में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार सुरेन्द्र सुन्दरम ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मंच संरक्षक दौलतराम अनपढ़ थे। सर्वप्रथम मंचासीन अतिथियों ने माँ सरस्वती को पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की शुरूआत की। कवि महेश गहलोत नेराजस्थानी कविता ‘आज भी याद है वे बचपन आला दिन’ तथा दौलतराम अनपढ़ ने ‘जो करना है सो जल्दी कर’ दोहा पेश किया। मंच संचालन करते हुए योगराज भाटिया ने ‘मोहब्बत इश्क की बातें हुई पुरानी’ कविता प्रस्तुत की। रमन अटवाल ने ‘माना आज मुसीबत है’, ]


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    बनवारीलाल बन्नी ने ‘कहां लगी समझा ना पाये’ एवं मंच अध्यक्ष मनीराम सेतिया ने सबका स्वागत करते हुए ‘सभी को बेहतर कल मिल जाये तो अच्छा है’ गीत द्वारा अदभुत समां बांधा एवं छत्रपति शिवाजी की जयंती पर,  उनके जीवन दर्शन के बारे में जानकारी दी। वरिष्ठ गीतकार डॉ. संदेश त्यागी ने ‘मुद्दत से मेरे ख्वाब में आया भी नहीं है’ गजल सुनाकर खूब तालियां बटोरी। ललित चराया ने ‘ठगा मैं गया, बच तुम भी न पाये’, अरूण उर्मेश ने ‘हाल सबको सुनाने से क्या फायदा’, नत्थूराम वर्मा ने ‘वो बाग ही क्यो जिसमें माली नहीं’, धर्मेन्द्र लोहार ने ‘सोचते बहुत हैं पर कह नहीं पाते’, रवि बोयत ने ‘क्यों खुद को इतना संभाल कर आये हो’, जोगा भागसरिया ने ‘जात मेरी जात तेरी’, बच्ची दिशा जसानी ने ‘माँ की महिमा’, वीना जसानी ने ‘जा रहे आज तुम कहां’, 


    महासचिव ऋतु सिंह ने ‘तुम स्त्री को देखो बार-बार देखो’,सतीश कालड़ा ने हास्य व्यंग्य ‘एक कप चाय’, बनवारीलाल शर्मा ने ‘तराशी सी हमनें भी एक मूर्त’, राजेश बेदी ने ‘झोंपड़ी में भी ठहाके होते हैं’, वीरेन्द्र खुराना ने ‘एक शख्स जो छोड़ गया मुझे’, सतपाल जोईया ने ‘मैंने वक्त पर कोई काम नहीं किया’, राजकुमार ने ‘मेरा अतीत मेरी आँखों के सामने आ गया’, बी.एस. चौहान ने ‘मेरी धडक़न की सरगम’ व सुमन आहुजा आदि ने कविताओं द्वारा सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। सृजन संस्थान के डॉ. कृष्णकुमार आशु ने सभी कवियों की काव्यशैली की मुक्तकंठ से सराहना की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुरेन्द्र सुन्दरम ने ‘जिस दिन स्त्रियों पर लिखी सारी कवितायें खत्म हो जायेंगी’ द्वारा सार्थक संदेश दिया तथा उपस्थित समस्त कवियों व साहित्यप्रेमियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में गंगानगर कला मंच संरक्षक विजय गोयल की माताजी परमेश्वरी देवी के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।





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