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    Rajasthan news : श्री गंगानगंर - जगजीतसिंह की जयंती पर राष्ट्रीय कला मंदिर द्वारा शाम-ए-गजल एक ग़ज़ल कार्यक्रम का आयोजन

    गायक कलाकारों ने जगजीत सिंह को दी स्वरांजलि




    श्रीगंगानगर - गजल सम्राट पदम विभूषण स्व. जगजीतसिंह के 82 वें

    में जन्मदिवस पर राष्ट्रीय कला मंदिर द्वारा आज  शाम-ए- ग़ज़ल कार्यक्रम

    का आयोजन किया। स्थानीय बाबा रामदेव मंदिर के सामने रोहित उद्योग परिसर

    में स्थित राष्ट्रीय कला मंदिर के वातानुकूलित ऑडिटोरियम चौधरी रामजस

    सेवा सदन में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत जगजीतसिंह के चित्र पर

    माल्यार्पण और मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर की गई।

    तत्पश्चात गायक कलाकारों लविश चुघ, तरुण आनंद, कमलेश कल्याणा, डॉ. गुरबंस

    राही ने जगजीत सिंह के गाए गीत, ग़ज़ल और नज्में सुना कर  उनको स्वरांजलि

    दी ।राष्ट्रीय कला मंदिर के संरक्षक विजय गोयल,अध्यक्ष वीरेंद्र बैद और

    सचिव शिव जालान ने कार्यक्रम में आए सभी लोगों का स्वागत किया।अध्यक्ष

    वीरेंद्र वेद ने कहा की यह संस्था लगभग 70 वर्षों से गीत संगीत को पूर्णत

    समर्पित है। संस्था ने अनेक प्रतिभाओं को पहचाना, उन्हें निखारा और

    प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ाया।  जगजीत सिंह को भी शुरुआती दिनों में इसी

    संस्था में प्रोत्साहित किया। फल स्वरुप उन्होंने गायकी के क्षेत्र में

    असीम बुलंदियों को छुआ। अपना और अपने शहर का नाम रोशन किया। कार्यक्रम का

    सुभाष शर्मा गोगी, कमला राठौड,जगीरचंद फरमा, गौरीशंकर बंसल, संदेश

    त्यागी, राजेश नागपाल, नवी आहूजा, श्याम गोस्वामी, आबकारी अधिकारी

    भूपेंद्र सिंह, ऋतु सिंह, योगराज भाटिया और  विजय भोला आदि गणमान्य

    नागरिकों, जगजीतसिंह के प्रशंसकों और गीत-संगीत के कद्रदानों ने लुत्फ

    उठाया। गायक कलाकारों और संगत कारों की कला की सराहना की। सचिव शिव जालान

    ने सभी का आभार व्यक्त किया। सभी कलाकारों को राष्ट्रीय कला मंदिर की ओर

    से सम्मान प्रतीत देकर सम्मानित किया गया। मंच संचालन सुनील शर्मा ने

    किया।



    इन प्रस्तुतियों ने समा बांधा


    कार्यक्रम में लविश चुघ ने झुकी झुकी सी नजर...., प्यार का पहला

    खत....,तरुण आनंद ने होश वालों को खबर क्या... होठों से छू लो.... गम का

    खजाना...., कमलेश कल्याणा ने वक्त का यह परिंदा रुका है.... वो कागज की

    कश्ती वो बारिश का पानी.... सरकती जाए रुख से नकाब,डॉ. गुरबख्श राही ने

    तेरे आने की जब खबर महके... सारे पिंड विच पोवाडे पवाए... छडया दी जून

    बुरी.== ढाई दिन ना जवानी नाल चल दी... ओ बल्ले बल्ले गीतों, गजलें और

    नजरों से खूब समां बांधा। तबले पर योगेश शर्मा चीलू, ऑक्टोपैड पर कुलदीप,

    की-बोर्ड पर पंकज पाहवा और गिटार पर मंथन ने संगत की।



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