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    छत्तीसगढ़ मैं पेश हुआ बजट , किसी बड़ी रियायत के बिना सरकार वोटरों को साधने में कामयाब




    छत्तीसगढ़ में 8 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं इसे लेकर सरकार आश्वस्त है औरछत्तीसगढ़ की जनता का मन जीतने का हर संभव प्रयास कर रही है ऐसा ही उन्होंने छत्तीसगढ़ के बजट में भी  किया है छत्तीसगढ़ में मौजूदा सरकार के आखिरी बजट को नाम दिया गया था भरोसे का बजट 8 महीने बाद चुनाव है ऐसे में प्रदेश सरकार से इसमें किसी चौंकाने वाली बड़ी रियायत, बड़ी घोषणा की उम्मीद थी जिससे कि इसे चुनावी बजट कहा जा सके। सीधे तौर पर ऐसा नहीं हुआ, लेकिन अगर बजट के बिंदुओं को गौर से देखें तो यह पूरी तरह वोटर्स को ध्यान में रखकर बनाया हुआ दिखता है। सरकार का स्पष्ट फोकस गांव, महिलाएं और युवा हैं।

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को सदन में जब अपना पांचवां बजट पेश किया तो इसकी दो सबसे बड़ी बातें पता चलीं. एक तो यह कि सरकार कोई टैक्स नहीं बढ़ाएगी, कोई नया टैक्स नहीं लगाएगी और दूसरा बेरोजगारी भत्ता विधिवत लागू करने की घोषणा करेगी। कुछ अन्य बड़े निर्णय जो प्रतीक्षित थे उनमें अनियमित, संविदा कर्मचारियों का नियमितिकरण, पेंशन योजना, महंगाई भत्ते में वृद्धि शामिल है। इसमें गरीबों के लिए नई आवास योजना की घोषणा जैसी बातें थीं,लेकिन इनकी बात नहीं हुई।


    बजट का सबसे ज्यादा हिस्सा शिक्षा को दिया गया, करीब 19 हजार 500 करोड़ रुपये। इसके बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा कृषि इन तीन विभागों के अंग हैं, ये तीन विभाग मुख्य रूप से गाँवों में कार्य करते हैं। जाहिर है सरकार का फोकस गांव पर है, ग्रामीणों पर है, इसी सोच के साथ सरकार ने धार्मिक भावनाओं का भी ख्याल रखा है आइए अब विस्तार से समझते हैं कि सरकार ने आगामी चुनाव को देखते हुए मतदाताओं का विश्वास जीतने की किस तरह कोशिश की है।


     युवाओं को बेरोजगारी भत्ते 

    प्रदेश में कितने युवा बेरोजगार हैं, इसकी कोई संख्या या परिभाषा अभी स्पष्ट नहीं है सरकार ने जो ढाई हजार रुपए महीने दो साल तक बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही है उसमें एक ही शर्त अभी तक सामने आई है कि युवा के परिवार की वार्षिक आय ढाई लाख से कम होनी चाहिए इस आय वर्ग के बहुत सारे युवा छत्तीसगढ़ में हैं यह बड़ा मतदाता वर्ग है जिसके वोट किसी पार्टी के नहीं खुद को मिलने वाली सुविधाओं पर निर्भर रहते हैं। लिहाजा सरकार ने इस सीधी मदद के जरिए उन तक यह संदेश पहुंचाया है कि सरकार उनकी चिंता कर रही है।


    आंगनबाड़ी-कार्यकर्ताओं, का मानदेय बढ़ाना


    राज्य सरकार ने इस बजट में भले ही अनियमित, संविदा कर्मचारियों के विषय में कुछ नहीं कहा, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकों, मितानिनों, स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिलाओं के मानदेय में अच्छी-खासी बढ़ोतरी कर दी आंगनबाड़ी से जुड़ी महिलाओं को तो 10 हजार रुपए प्रति माह तक मिलने लगेंगे इस घोषणा का तुरंत असर भी दिखा। इन महिलाकर्मियों ने खुशियां मनानी शुरू कर दी प्रदेश में सिर्फ आंगनबाड़ी में ही 1 लाख से ज्यादा महिलाएं कार्यरत हैं गांव-गांव में कार्यरत इन महिलाकर्मियों का गांवों में प्रभाव भी रहता है अब ये सरकार से खुश रहेंगी, तारीफ करेंगी तो गांव में सरकार की पॉजिटिव छवि भी बनेगी। ऐसे में प्रचार भी होगा और वोट भी मिलेंगे।


    सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी 

    रकार ने निराश्रित बुजुर्ग, विकलांग, विधवा, परित्यक्ता आदि की सामाजिक पेंशन 350 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 5 सौ रुपए कर दी है। प्रदेश में इनकी भी संख्या बड़ी है। इनकी पेंशन भी कई साल बाद बढ़ी है, लिहाजा इसका क्रेडिट तो सरकार ले ही लेगी। बदले में वोट मांगना तो राजनीतिक दलों का अधिकार भी है।

    101 नये स्वामी आत्मानंद स्कूल 

    नये स्कूलों के जरिए सरकार ने गांव और युवा दोनों को साधने का काम किया है। 807 करोड़ रुपए की लागत से ये स्कूल गांवों में खुलेंगे। स्कूल खुलेंगे तो बड़ी संख्या में शिक्षित युवाओं को नौकरी का मौका मिलेगा। इसके जरिए फिर सरकार का मैसेज है कि हम रोजगार भी देंगे।

     

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