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    G20 शिखर सम्मेलन के लिए उत्तराखंड को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा

    उत्तराखंड में होने जा रही जी-20 समिट में शामिल होने आ रहे विदेशी मेहमानों के स्वागत  के लिए उत्तराखंड को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है



    उत्तराखंड में होने जा रही जी-20 समिट में शामिल होने आ रहे विदेशी मेहमानों के स्वागत  के लिए उत्तराखंड को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है वह उत्तराखंड के नागरिक मेहमानों के स्वागत के लिए पलक पांवड़े बिछाने को तैयार है। उत्तराखंड सरकार आने वाले  मेहमानों को भ्रष्टाचार से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियों और नई तकनीक पर चर्चा के साथ ही उत्तराखंड की संस्कृति, सभ्यता से रूबरू करवाने के लिए हर तरह से तैयार है कराया।






    G20 सम्मिट में आए विदेशी मेहमानों के लिए गंगा दर्शन आकर्षण का केंद्र रहेगा तमाम विदेशी मेहमानों को आगमन पर तिलक लगाकर वह हस्तनिर्मित तुलसी माला देकर उनका अभिनंदन किया जाएगा।इसलिए मुनि की रेती, लक्ष्मण झूला और ऋषिकेश में गंगा घाटों को अयोध्या की तर्ज पर घी के दीयों से सजाया जाएगा। गंगा तट पर रिफ्लेक्शन लाइटें लगाई जाएंगी ताकि सूर्यास्त के समय गंगा में अद्भुत नजारा दिखे। जी-20 समिट के तहत तीन वर्किंग ग्रुप की बैठक उत्तराखंड में होगी।







    उत्तराखंड में होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन की पहली बैठक 25 से 27 मई, दूसरी 26 से 28 मई के बीच होगी। इस इस शिखर सम्मेलन में विदेश से आए जी 20 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके लिए राज्य सरकार ने संबंधित जिलों के प्रशासनिक अफसरों के साथ तैयारियां तेज कर दी हैं। अतिथियों का भव्य स्वागत कर उत्तराखंड की माटी की खुशबू को जी-20 देशों तक पहुंचाने की कोशिश है।




    उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता के बारे जानेंगे

    योजना के तहत जी-20 देशों में बसे विदेशी मेहमानों से संपर्क किया गया है. उन देशों में बसे उत्तराखंड के लोगों से संवाद किया जा रहा है। उनसे उम्मीद की जाती है कि वे आने वाले मेहमानों को राज्य की सांस्कृतिक विविधता के बारे में बताएंगे। विदेशी दूतावासों की भी मदद ली जा रही है। यहां पढ़ने वाले जी-20 देशों के छात्रों से भी संपर्क किया जा रहा है।



    उत्तराखंड के परंपरागत वाद्य यंत्रों के साथ थड़िया, सरौं, चौंफला नृत्य होंगे पेश

    उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल, ढोलकी, दमाऊं, हुड़की, डौंर, थाली, मोछंग, बांसुरी, तुर्री, भकोरा, नगाड़ा, सारंगी, मसक बाजा, रणसिंगा, एकतारा, शंख, अलगोजा, चिमटा, बिणाई, डफली आदि बजाकर मेहमानों का स्वागत किया जाएगा। उत्तराखंड के पारंपरिक नृत्य थड़िया, सरौं, चौंफला, मंडाण, हारूल, झुमैलो, चांचरी की प्रस्तुति कलाकार देंगे।



    विदेशी मेहमान उत्तराखंड के  पहाड़ी व्यंजनों की खूबियां जानेंगे

    विदेशी मेहमानों के लिए उत्तराखंड के पारंपरिक खान-पान की व्यवस्था रहेगी, होटलों में मुख्य रूप से झंगोरे की खीर से लेकर मांडूवे की रोटी, तिल की चटनी मिलेगी। इन पहाड़ी व्यंजनों के फायदे समझाने के लिए गाइड उपलब्ध रहेंगे। आयुष को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया जाएगा। उत्तराखंड की पहचान दर्शाने वाले उत्पाद राज्य के प्रमुख उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उपहार स्वरूप दिए जाएंगे।बुकलेट प्रकाशित कर उत्तराखंड की संस्कृति और सभ्यता का प्रचार विदेशी प्रतिनिधियों के समक्ष होगा।









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