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    यूएई (UAE) समेत 4 खाड़ी देशों में बाढ़ और बारिश: रेगिस्तानी इलाकों में 2 साल की बारिश एक दिन में; क्या क्लाउड सीडिंग असली वजह है?


    15 अप्रैल की रात को यूएई, सऊदी अरब, बहरीन और ओमान में भारी बारिश शुरू हो गई. देखते ही देखते यह तूफान में तब्दील होने लगा। हालात ऐसे हो गए कि मंगलवार तक इन देशों के दर्जनों शहरों में इसकी वजह से बाढ़ आ गई है.


    रेगिस्तान के बीच बसे शहर दुबई के इंटनेशनल एयरपोर्ट पर तो बीते 24 घंटे में 6.26 इंच से ज्यादा बारिश हुई है। मौसम संबंधी जानकारी देने वाली वेबसाइट 'द वेदरमैन डॉट कॉम' के मुताबिक यहां इतनी बारिश दो सालों में होती है।


    कुछ विशेषज्ञ खाड़ी देशों में आई इस बाढ़ का कारण क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश को बता रहे हैं। एसोसिएटेड प्रेस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि दुबई प्रशासन ने क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने के लिए सोमवार को एक विमान उड़ाया था. इसके कुछ ही समय बाद खाड़ी देशों को भारी बारिश और बाढ़ का सामना करना पड़ा.


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    आर्टिफिशियल रेन क्या होती है, आखिर बिना मौसम के कैसे कराई जाती है बारिश? जानते हैं


    सवाल 1: UAE समेत खाड़ी देशों में बाढ़ के लिए जिम्मेदार बताई जा रही क्लाउड सीडिंग यानी आर्टिफिशियल बारिश क्या है?
    जवाब: जब कहीं भी प्राकृतिक बारिश नहीं हो रही हो तो कृत्रिम रूप से बादलों को बारिश में बदलने की तकनीक को क्लाउड सीडिंग कहा जाता है। क्लाउड सीडिंग के लिए सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड और सूखी बर्फ (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) जैसे रसायनों को हेलीकॉप्टर या विमानों के माध्यम से बादलों के पास आकाश में फैलाया जाता है।

    ये कण हवा में भाप को आकर्षित करते हैं, जिससे तूफानी बादल बनते हैं और अंततः बारिश होती है। इस तरह बारिश होने में करीब आधा घंटा लग जाता है.


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    सवाल 2: क्या दुबई में पहले भी इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है?
    जवाब: जी हां, जुलाई 2021 में जब दुबई में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच गया था तो गर्मी से राहत दिलाने के लिए वहां क्लाउड सीडिंग की गई थी. खाड़ी देशों में अक्सर सूखे से निपटने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी शुरुआत 1990 के दशक में यूएई में हुई थी.


    सवाल 3:दुनिया के कितने देशों में आर्टिफिशियल रेन कराने की टेक्नोलॉजी है और क्या भारत में भी है?
    जवाब: जी हां, भारत के पास भी कृत्रिम बारिश कराने की तकनीक मौजूद है। कई मौकों पर इसका इस्तेमाल भी किया गया है. इसके अलावा चीन और अमेरिका समेत दुनिया के 60 देशों ने कृत्रिम बारिश कराने की तकनीक विकसित कर ली है।


    सवाल 4: क्लाउड सीडिंग से बारिश कराने के अलावा और क्या होता है?
    जवाब: इस तकनीक का उपयोग अक्सर सूखा प्रभावित क्षेत्रों या वायु प्रदूषण से निपटने के लिए किया जाता है। कभी-कभी कुछ हवाई अड्डों के आसपास कोहरे को खत्म करने के लिए क्लाउड सीडिंग का भी उपयोग किया जाता है। 2008 का बीजिंग ओलंपिक इसका बड़ा उदाहरण है, जहां चीन ने क्लाउड सीडिंग के जरिए बादलों को बारिश में बदलकर एक दिन पहले ही बीजिंग में बारिश करा दी थी.


    NBC न्यूज के मुताबिक चीन ने क्लाउड सीडिंग के लिए 11 हजार हथियारों का इस्तेमाल किया था। इसमें 6,781 रॉकेट लॉन्चर और 4,110 आर्टिलरी गन शामिल थीं। क्लाउड सीडिंग के दो प्रमुख उद्देश्य होते हैं- या तो मर्जी से बारिश या बर्फबारी को बढ़ाना या किसी खास जगह पर एक-दो दिन पहले ही बारिश करा लेना।


    सवाल 5: क्या क्लाउड सीडिंग से बादल फटने से UAE समेत खाड़ी देशों में बाढ़ आई है?
    जवाब: जब किसी निश्चित स्थान पर एक निश्चित समय में बहुत अधिक वर्षा होती है तो उसे हम बादल फटना कहते हैं। बादल फटना इस बात पर निर्भर करता है कि क्लाउड सीडिंग से कितना बादल जमा हुआ है।


    यदि अत्यधिक वाष्प से भरे बादलों की पहचान कर क्लाउड सीडिंग की जाए तो बादल फट सकते हैं। ऐसे में संभव है कि इसके कारण यूएई समेत खाड़ी देशों में भारी बारिश हो सकती है. जो बाढ़ का कारण बना हालाँकि, अमेरिकी मौसम विज्ञानी रयान माउ इस बात को मानने से इनकार करते हैं कि दुबई में बाढ़ का कारण क्लाउड सीडिंग है। उनके मुताबिक, खाड़ी देशों के ऊपर बादलों की एक पतली परत बनी हुई है। बादल छाने के बावजूद, बाढ़ आने के लिए पर्याप्त बारिश नहीं हो सकती है। क्लाउड सीडिंग से एक बार में बारिश हो सकती है। इसके कारण कई दिनों तक रुक-रुक कर बारिश नहीं होती, जैसी वहां हो रही है.


    माउ के मुताबिक UAE और ओमान जैसे देशों में तेज बारिश की वजह क्लाइमेट चेंज है। जो क्लाउड सीडिंग पर इल्जाम लगा रहे हैं वो ज्यादातर उस मानसिकता के हैं जो ये मानते ही नहीं कि क्लाइमेट चेंज जैसी कोई चीज होती है।


    गल्फ में भारी बारिश की वजह



    जहाँ भी समुद्र की सतह पर पानी गर्म होगा, वहाँ की हवा भी गर्म होकर ऊपर उठेगी। इससे उस पूरे क्षेत्र में निम्न दबाव यानी एलपी निर्मित हो जायेगा. इसके अलावा समुद्र का गर्म पानी वाष्पित होकर बादलों का निर्माण करता है और ये बादल उस क्षेत्र में बारिश का कारण बनते हैं। अर्थात जहां कम दबाव (एलपी) होता है वहां बारिश होती है और जहां उच्च दबाव (एचपी) होता है वहां सूखा होता है।


    मौसम वैज्ञानिक माउ बताते हैं कि गल्फ देशों पर बारिश से पहले 3 लॉ प्रेशर सिस्टम की एक ट्रेन बनी थी। जो वहां बारिश और तूफान लेकर आई।


    सवाल 6:क्या है अमेरिका का ऑपरेशन पोपोय,जिसमें जंग जीतने के लिए कराई गई थी क्लाउड सीडिंग?

    जवाब: अमेरिका ने 1967 से 1972 के बीच वियतनाम युद्ध के दौरान क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल किया था। इस युद्ध में अमेरिका ने वियतनाम पर बढ़त हासिल करने के लिए ऑपरेशन पोपॉय लॉन्च किया था।

    इसके तहत अमेरिका ने वियतनाम के हो ची मिन्ह शहर पर क्लाउड सीडिंग के जरिए बादल फटने की घटना को अंजाम दिया था. इससे वहां अचानक बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गई थी. इससे वियतनाम सेना को भारी नुकसान हुआ।


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