प्रयागराज महाकुंभ में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. करीब 15 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई है. 13 जनवरी से मेला शुरू हुआ तो पहले दिन 1 करोड़ 65 लाख लोगों ने स्नान किया.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट के जरिए पहले दो दिनों के आंकड़े दिए. इसके बाद मेला प्रशासन हर दिन आंकड़े जारी करता है. कुंभ में आने वाले लोगों की गिनती कैसे की जाती है? प्रशासन किस तकनीक से गिनती करता है?
2 दिन में 5 करोड़ 15 लाख लोगों ने स्नान किया. 13 जनवरी से प्रयागराज महाकुंभ शुरू हो गया है. पहले दिन पौष पूर्णिमा थी, मेले में अच्छी भीड़ देखने को मिली. शाम को आंकड़े आए कि पूरे दिन में 1 करोड़ 65 लाख लोगों ने स्नान किया. 14 जनवरी को मकर संक्रांति थी, यानी पहला अमृत स्नान.
13 जनवरी की रात से ही श्रद्धालुओं की भीड़ संगम जाने वाले हर रास्ते पर दिखने लगी। भोर के 3 बजे से ही संगम के सारे घाट फुल हो गए। पूरे दिन यही क्रम चला। जितने लोग घाट से निकलते गए, उससे ज्यादा लोग आते गए।
सुबह के 11 बजकर 9 मिनट पर CM योगी के एक्स अकाउंट से पोस्ट करके बताया गया कि अब तक एक करोड़ 38 लाख लोगों ने स्नान कर लिया है। शाम साढ़े 5 बजे सीएम योगी के अकाउंट से कुंभ से जुड़ा एक और पोस्ट आया।
उसमें बताया गया कि आज साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं और संतों ने कुंभ में स्नान किया।
श्रद्धालुओं का यही आंकड़ा हर किसी ने ऑफिशियल माना। 23 जनवरी को कुंभ में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 10 करोड़ पहुंच गई। हर दिन 10 लाख कल्पवासियों को भी जोड़ा जा रहा है।
पहली बार बैरिकेड्स लगाकर गिनती की गई थी हम मौजूदा वक्त की गिनती कैसे की जा रही है, इसके बारे में जानेंगे। लेकिन, पहले यह जानते हैं कि कुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती की शुरुआत कब से हुई? मिले रिकॉर्ड के मुताबिक, कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की पहली बार गिनती अंग्रेजों ने 1882 में की थी।
उस वक्त प्रयागराज कुंभ में आने वाली हर सड़क पर बैरिकेड्स लगा दिए जाते थे। फिर हर आने वाले की गिनती होती थी। रेलवे स्टेशन के टिकट को भी जोड़ा जाता था। उस कुंभ में करीब 10 लाख लोग शामिल हुए थे। इसके बाद यह संख्या हर कुंभ में बढ़ती चली गई। लेकिन, गिनती का तरीका यही रहा।
जानिए इस बार कैसे हो रही गिनती
2025 का कुंभ हाईटेक हो गया है। दिव्य-भव्य के साथ डिजिटल शब्द जुड़ गया है। डिजिटल कैमरों के जरिए गिनती करना थोड़ा-सा आसान हुआ है। UP सरकार ने इस साल पूरे शहर में 2700 कैमरे लगाए हैं। इनमें 1800 कैमरे मेला क्षेत्र में लगे हैं।
1100 परमानेंट और बाकी के 700 टेंपरेरी कैमरे हैं। 270 से ज्यादा कैमरे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI से लैस हैं।
इन कैमरों की रेंज में जैसे ही कोई व्यक्ति आता है, उसकी गिनती हो जाती है। ये स्टेशन, मेला क्षेत्र के एंट्री पॉइंट, संगम एरिया और अखाड़ों के साइड में लगाए गए हैं। AI बेस्ड कैमरे मिनट दर मिनट आंकड़े अपडेट करते हैं।
क्राउड मैनेजमेंट आसान हो गया
कुंभ मेला SSP राजेश द्विवेदी कहते हैं- कैमरों से भीड़ मैनेज की जा रही है, साथ ही सुरक्षा में भी इनका अहम रोल है। इनमें नंबर प्लेट रिकग्निशन के साथ फेस रिकग्निशन भी है। इसके जरिए हार्ड कोर क्रिमिनल की पहचान की जा सकती है।
किसी पार्किंग की कैपेसिटी अगर 2 हजार गाड़ियों की है, तो 1800 होने पर कंट्रोल रूम में अलार्म बज जाएगा। इसके बाद भीड़ का मूवमेंट बदल दिया जाएगा।
अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी कहते हैं- इन कैमरों से क्राउड एनालिटिक्स और भीड़ का नियंत्रण अच्छे से कर सकते हैं। कहीं भी अधिक भीड़ होगी तो अलर्ट जनरेट हो जाएगा। इसके बाद हम उसे मैनेज कर लेते हैं।
कुंभ मेला SSP और मेला अधिकारी की मानें, तो AI कैमरे भीड़ की गिनती करने में इस बार अहम भूमिका निभा रहे हैं।
IPS बोले- कोई भी तरीका 100% एरर फ्री नहीं हम और अधिक जानकारी के लिए कुंभ मेला प्राधिकरण पहुंचे। यहां पुलिस ने कुंभ कंट्रोल रूम बनाया है। सारे CCTV का एक्सेस यहां है। हम अंदर पहुंचे तो देखा कि चारों तरफ कैमरे चल रहे हैं। बीच में AI के जरिए जो काउंटिंग हो रही, उसका विजुअल चल रहा है। इसकी निगरानी IPS अमित कुमार कर रहे हैं।
हमने क्राउड काउंटिंग के तरीकों के बारे में पूछा। अमित कुमार बताते हैं- हम कुल तीन तरह से गिनती करते हैं। पहला- मेला क्षेत्र में कितने लोग मौजूद हैं? दूसरा- कितने लोग चल रहे? तीसरा- कितने लोग स्नान कर रहे? जो व्यक्ति मेले में मौजूद है, वह दिन में एक बार काउंट होगा। लेकिन, अगर वही अगले दिन फिर आता है तो वह दोबारा भी काउंट होगा।
अमित कहते हैं- पहली बार AI के जरिए गिनती कर रहे। यह एक इमर्जिंग टेक्नोलॉजी है, पहली बार इतने बड़े स्तर पर इसका प्रयोग हो रहा है। करीब सवा 2 सौ AI कैमरे लगे हैं। जो भी इसकी रेंज में आता है, उसकी गिनती होती है।
हमने मेला क्षेत्र में और मेला क्षेत्र में पहुंचने वाले रास्तों पर इन्हें लगाया है। इसके अलावा हम पुराने तरीके से भी गिनती कर रहे हैं, वह गणित के एक फॉर्मूले के आधार पर होता है। हालांकि, कोई भी तरीका किसी भी जगह 100% एरर फ्री नहीं होता।
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