नारी सृष्टि की अनुपम देन है तथा प्रेम, दया, त्याग व श्रद्धा की प्रतिमूर्ति है। किसी राष्ट्र की सभ्यता और संस्कृति के निर्माण तथा विकास में नारी का योगदान महत्वपूर्ण होता है। मानव जीवन का प्रत्येक क्षेत्र नारी के अभाव में अपूर्ण है। ‘मनुस्मृति’ में कहा गया है कि ‘जहाँ नारियों को पूजा जाता है, वहाँ देवता निवास करते हैं।’ जिस देश की नारी जागृत, सुशिक्षित एवं संस्कारित होती है, वही देश और समाज संसार में सबसे उन्नत माना जाता है। नारी गृहस्थ का केन्द्र बिन्दु तथा परिवार की आधारशिला होती है। नारी शक्ति है, प्रेरणा है और जीवन की आवश्यक पूर्ति है। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 को अन्तर्राष्ट्रीय महिला वर्ष और 1980 को महिला विकास वर्ष घोषित किया, तभी से हर वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं तथा सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है।
नारी स्वयं में इतनी महत्त्वपूर्ण होते हुए भी मध्यकाल से वर्तमान काल में नारी की स्वतंत्रता व उसकी प्रतिष्ठा में परिवर्तन आया है। मध्यकाल में नारी को अबला माना जाता था तथा नारी को अभिव्यक्ति की आजादी नहीं थी। कवि ‘मैथिलिशरण गुप्त’ ने कहा था ‘अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आँचल में है दूध और आँखों में पानी।’ अर्थात नारी को अबला माना जाता था तथा उसे घरेलू कामकाज की वस्तु माना जाता था एवं पूजा कार्य व मंदिर गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं थी।
भारत देश के संविधान में महिलाओं को अधिकांश क्षेत्र में बिना किसी भेदभाव के पुरूषों के समकक्ष अधिकार दिये गये हैं। महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए ‘राष्ट्रीय महिला आयोग’ तथा विभिन्न राज्यों में ‘राज्य महिला आयोग’ की स्थापना की गई है। आज नारी शिक्षित होकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। आधुनिक युग में नारी शिक्षिका, डॉक्टर, वकील, प्रशासक व राजनैतिक एवं उद्योग-व्यवसाय के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। शारीरिक क्षमता में पुरूष से कमजोर माने जाने वाली महिलाओं ने अपने फौलादी इरादों के कारण वायु सेना, खेलकूद व अंतरिक्ष में भी कीर्तिमान स्थापित किए हैं। भारत की ‘पीटी ऊषा’, ‘कमलजीत संधू’, ‘शायनी अब्राहम’ ने खेलकूद क्षेत्र में, भारत की ‘हरित देओल’ ने वायुसेना का विमान उड़ाकर भारतीय महिला पायलट का गौरव हासिल किया है तथा ‘कल्पना चावला’ अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। इस प्रकार से नारी आज समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय है तथा आदर्श सेविका बनकर देश के विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभा रही है।
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कवयित्री महादेवी वर्मा के शब्दों में भारत की सामान्य नारी शिक्षित न होकर भी सुसंस्कृत है, जीवन मूल्यों से उसका परिचय अक्षरों द्वारा न होकर अनुभवों द्वारा हुआ है। इसी कारण आज की नीति, धर्मदर्शन, आचार, कर्तव्य आदि का अशिक्षित नारी को सहज ही बोध हो जाता है। जिससे शिक्षित नारी की अपेक्षा वह धरती के अधिक निकट और जीवन संग्राम में ठहरने के लिए अधिक समर्थ है।
भारतीय महिलाएँ समाज की आधारशिला होती है राष्ट्र हित में उसका समर्पण समाज में सभी वर्गों को सदा प्रेरित व जागृत करता रहा है। भारतीय नारी ने हर युग में पुरुषों का साथ दिया है तथा देश के स्वतंत्रता संग्राम में भी नारी की अद्भुत प्रतिभा का परिचय मिलता है। झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई जिसने अंग्रेजों के साथ रणभूमि में साक्षात चंडी के रूप में अपनी ताकत का लोहा मनवाया तथा अपने शौर्य, साहस व पराक्रम के कारण अंग्रेजों के दांत खट्टे किए थे। इसी प्रकार सरोजिनी नायडू, कमला देवी चट्टोपाध्याय, दुर्गा देवी बोहरा जो क्रांतिकारी दुर्गा भाभी के नाम से जानी जाती है, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसफ अली आदि नारियों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, अनेक बार जेल गयी तथा देश की आजादी के लिए खुद को समर्पित कर दिया।
रवीन्द्रनाथ टैगोर के अनुसार ‘किसी भी राष्ट्र के उत्थान और पतन के लिए महिलाएं ही जिम्मेदार हैं।’ पुरूषों के किसी भी आंदोलन की प्रेरणास्रोत महिलाएं ही होती हैं। हालांकि सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है। फिर भी महिलाओं को शारीरिक और मानसिक हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। कुछ देशों में जिसमें भारत देश भी शामिल है, स्त्रियों के गर्भ में ही लिंग की जांच कर गर्भ में कन्या भ्रूण होने पर गर्भ गिरा दिया जाता है, जिससे स्त्री-पुरुष अनुपात बिगड़ रहा है। ‘भ्रूण हत्या’ को अपराध माना जाता है तथा इसके लिए हमारे देश में दण्ड दिया जाता है। स्त्री जाति व किशोरियों के साथ यौन दुर्व्यवहार, बलात्कार की घटनाएं, घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना व नारी उत्पीड़न आदि घटनाएं सम्पूर्ण पुरुष जाति पर कलंक है। इसके लिए सरकारों व समाज को कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
109-एल ब्लॉक, श्रीगंगानगर
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